17 अप्रैल 2011

उत्तम, मध्यम और अधम

मनुष्य को मुख्यतः तीन श्रेणी में विभक्त किया गया है -- उत्तम, मध्यम और अधम |उन्हें ही अधम श्रेणी का मनुष्य कहा जाता है जो किसी काम में हाथ लगाते ही नहीं | वे सोचते हैं की वे अति साधारण मनुष्य हैं इसलिए वे कोई कार्य कर नहीं सकते |वह सब समय कार्य करने के पथ में क्या बाधा आयेगी वही सोचकर बाधा के भय से भयभीत होते हैं और इसलिए किसी काम में सहज ही हाथ नहीं लगाना चाहते |
मध्यम श्रेणी का मनुष्य उन्हें कहेंगे जो किसी कार्य को शुरू करते हैं, किन्तु किसी समस्या के उपस्थित होने पर उस कार्य से तत्काल हाथ खींच लेते हैं | वे सोचते हैं कि  बाधा है उतंग हिमालय सदृश और इसलिए वे कार्य बंद कर देते हैं | वे ऐसा सोचकर बैठे रहते हैं कि कार्य में आगे चलने से उन्हें समस्या के सम्मुखीन होने होगा और वे उस समस्या का समाधान नहीं कर पाएंगे | अर्थात उन्हें अपने शक्ति-सामर्थ्य के बारे में दृढ आत्मविश्वास नहीं होता |
उत्तम श्रेणी के मनुष्य वे हैं जो समझ-बूझ कर कार्य में हाथ लगाते हैं और उस कार्य की सुन्दर परिसमाप्ति के लिए दृढ निश्चय रहते हैं | लक्ष्य तक नहीं पहुँचने तक वे समस्त प्रतिकूल शक्तियों के विरुद्ध संघर्ष करते जाते हैं | ऐसी  कोई समस्या नहीं है  जिसका समाधान नहीं |ऐसा कोई कठिन कार्य हो नहीं सकता जो मनुष्य के सामर्थ्य के बाहर हो | वे किसी भी बाधा,विपत्ति या चैलेंज के सम्मुख होने के लिए प्रस्तुत रहते हैं | किसी भी प्रतिकूल परिस्थिति का मुकाबला करने के लिए तैयार रहते हैं | बाधा कैसी भी क्यों न आये , वे मूल उद्देश्य की पूर्ति के लिए सर्वदा दृढ रहते हैं | मैं चाहता हूँ कि तुमलोग उत्तम श्रेणी के मनुष्य बनो | तुम सर्वदा लक्ष्य के विषय में चिंतन करो, और इसी तरह अध्यात्मिक प्रेरणा से उद्बुद्ध होकर अपनी नीति को, आदर्श को कठोर रूप से मान कर चलो |

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