इस जगत में प्रधानतः तीन तरह प्रकार के मनुष्य देखोगे - उत्तम , मध्यम और अधम।प्रथम श्रेणी का मनुष्य उन्हें कहेंगे जिनके चिंतन ,वचन और कर्म में समानता है। अर्थात् वे जैसा सोचते हैं , वैसा ही बोलते हैं और जैसा बोलते हैं वैसा ही कार्य करते हैं। ये हैं उत्तम श्रेणी के मनुष्य। द्वितीय श्रेणी के मनुष्य वे हैं जिनके चिंतन और बोली में समानता नही है। वे मन से सोचते हैं कुछ और मुख से बोलते हैं और कुछ। परन्तु मुख से जो बोलते हैं कार्य तदनुरूप करते हैं। ये हैं मध्यम कोटि के मनुष्य। और तृतीय कोटि के मनुष्य उन्हें कहेंगे जिनके चिंतन ,वचन और कर्म में कोई समानता नही होती ,कोई सामंजस्य नही होता। इस प्रकार के लोग मन ही मन एक प्रकार से सोचते हैं , मुख से दुसरे प्रकार से बोलते हैं और कार्य के समय ठीक उल्टा करते हैं। ये हैं अधम श्रेणी के लोग। वर्तमान समय में पृथ्वी पर अधिकाँश नेता इस अधम श्रेणी के हैं। किंतु तुम लोग उत्तम श्रेणी का मनुष्य बनने की चेष्टा करो अर्थात् तुम लोग जैसा सोचोगे ,वैसा ही बोलोगे और जैसा मुख से बोलोगे वैसा ही कार्य भी करोगे।
मनुष्य के प्रकार उत्तम , मध्यम और अधम,के बारे मे जानकर अच्छा लगा,ब्लोगँ जगत मे आप का स्वागत है
जवाब देंहटाएंbahut khub batai.narayan narayan
जवाब देंहटाएंलगता है कि शायद मनुष्यों की प्रथम प्रकार की श्रेणी तो विलुप्त होने की कगार पर पहुंच चुकी है,वर्तमान युग में कोई बिरला ही बचा होगा......:)
जवाब देंहटाएंअच्छा लगा जान कर............. मनुष्य की ३ श्रेणियों के बारे में........... पर नेता लोगों को बदलना इतना आसान नहीं
जवाब देंहटाएंचिट्ठो की दुनिया में आपका स्वागत है.
जवाब देंहटाएंमेरे ब्लॉग पर भी पधारे....
- गंगू तेली
http://gangu-teli.blogspot.com
भीतर से हर व्यक्ति के अन्दर देवत्व भरा पडा हैं, आवश्यकता मात्र उसे उभारने की है। मनुष्य का स्वाभाविक रुझान ही उत्कृष्टतापरक हैं। वह भटका हुआ देवता हैं, उठा हुआ पशु नहीं।
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