6 जून 2009

चरम निर्देश

जो दोनों समय नियमित रूप से करता है मृत्युकाल में परमपुरुष कि भावना उसके मन में अवश्य ही जगेगी, एवं निश्चितरूप से उसकी मुक्ति होगी ही। अतः प्रत्येक आनंदमार्गी को दोनो समय साधना करनी ही होगी -यही है परमपुरुष का निर्देश। यम-नियम के बिना साधना नही हो सकती , अतः यम -नियम का पालन करना भी परमपुरुष का ही निर्देश है। इस निर्देश कि अवहेलना करने का अर्थ है कोटि -कोटि वर्षों तक पशुजीवन के क्लेशों में दग्ध होना। किसी भी मनुष्य को उस क्लेश में दग्ध न होना पड़े तथा परमपुरुष की स्नेहछाया में सभी आकर शाश्वती शान्ति लाभ करें ; इसलिए सभी मनुष्यों को आनंदमार्ग के कल्याण-पथ पर लाने की चेष्टा करना ही प्रत्येक आनंदमार्गी का कर्तव्य है । दूसरों को सत्पथ का निर्देशन करना साधना का ही अंग है ।

12 टिप्‍पणियां:

  1. First line is wrong.
    It should be " jo niyamit roop se SADHANA karta hai".

    Sadhana word is missing in Caram Nirdesh

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  2. चरम निर्देश
    जो दोनों समय नियमित रूप से साधना करता है मृत्युकाल में परमपुरुष कि भावना उसके मन में अवश्य ही जगेगी, एवं निश्चितरूप से उसकी मुक्ति होगी ही। अतः प्रत्येक आनंदमार्गी को दोनो समय साधना करनी ही होगी -यही है परमपुरुष का निर्देश। यम-नियम के बिना साधना नही हो सकती , अतः यम -नियम का पालन करना भी परमपुरुष का ही निर्देश है। इस निर्देश कि अवहेलना करने का अर्थ है कोटि -कोटि वर्षों तक पशुजीवन के क्लेशों में दग्ध होना। किसी भी मनुष्य को उस क्लेश में दग्ध न होना पड़े तथा परमपुरुष की स्नेहछाया में सभी आकर शाश्वती शान्ति लाभ करें ; इसलिए सभी मनुष्यों को आनंदमार्ग के कल्याण-पथ पर लाने की चेष्टा करना ही प्रत्येक आनंदमार्गी का कर्तव्य है । दूसरों को सत्पथ का निर्देशन करना साधना का ही अंग है
    । श्री श्री अनंदमूर्तिजी

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