जो दोनों समय नियमित रूप से करता है मृत्युकाल में परमपुरुष कि भावना उसके मन में अवश्य ही जगेगी, एवं निश्चितरूप से उसकी मुक्ति होगी ही। अतः प्रत्येक आनंदमार्गी को दोनो समय साधना करनी ही होगी -यही है परमपुरुष का निर्देश। यम-नियम के बिना साधना नही हो सकती , अतः यम -नियम का पालन करना भी परमपुरुष का ही निर्देश है। इस निर्देश कि अवहेलना करने का अर्थ है कोटि -कोटि वर्षों तक पशुजीवन के क्लेशों में दग्ध होना। किसी भी मनुष्य को उस क्लेश में दग्ध न होना पड़े तथा परमपुरुष की स्नेहछाया में सभी आकर शाश्वती शान्ति लाभ करें ; इसलिए सभी मनुष्यों को आनंदमार्ग के कल्याण-पथ पर लाने की चेष्टा करना ही प्रत्येक आनंदमार्गी का कर्तव्य है । दूसरों को सत्पथ का निर्देशन करना साधना का ही अंग है ।
Thank you for sharing it online
जवाब देंहटाएंFirst line is wrong.
जवाब देंहटाएंIt should be " jo niyamit roop se SADHANA karta hai".
Sadhana word is missing in Caram Nirdesh
Charamnirde in shankrit is provided
जवाब देंहटाएंबाबा नाम केवलम।
जवाब देंहटाएंBABA NAM KEVLAM
हटाएंI want in Marathi language
जवाब देंहटाएंI want in Marathi language
जवाब देंहटाएंSir first line is wrong you should change it
जवाब देंहटाएंबाबा नाम केवलम
जवाब देंहटाएंचरम निर्देश
जवाब देंहटाएंजो दोनों समय नियमित रूप से साधना करता है मृत्युकाल में परमपुरुष कि भावना उसके मन में अवश्य ही जगेगी, एवं निश्चितरूप से उसकी मुक्ति होगी ही। अतः प्रत्येक आनंदमार्गी को दोनो समय साधना करनी ही होगी -यही है परमपुरुष का निर्देश। यम-नियम के बिना साधना नही हो सकती , अतः यम -नियम का पालन करना भी परमपुरुष का ही निर्देश है। इस निर्देश कि अवहेलना करने का अर्थ है कोटि -कोटि वर्षों तक पशुजीवन के क्लेशों में दग्ध होना। किसी भी मनुष्य को उस क्लेश में दग्ध न होना पड़े तथा परमपुरुष की स्नेहछाया में सभी आकर शाश्वती शान्ति लाभ करें ; इसलिए सभी मनुष्यों को आनंदमार्ग के कल्याण-पथ पर लाने की चेष्टा करना ही प्रत्येक आनंदमार्गी का कर्तव्य है । दूसरों को सत्पथ का निर्देशन करना साधना का ही अंग है
। श्री श्री अनंदमूर्तिजी
बाबा नाम केवलम
जवाब देंहटाएंBaba Nam Kevalam
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