29 जून 2014

जलपान विधि

"आपश्च विश्व भेषजी" अर्थात जल सभी रोगों की औषधि है। वस्तुतः सही रूप से व्यवहार करने पर एक जल की सहायता से सभी रोग दूर हो सकते हैं। मनुष्य देह की भीतरी कार्यधारा अव्याहत रखने के लिए तथा तरलता की रक्षा के लिए प्रत्येक मनुष्य को प्रतिदिन यथेष्ट जल पान करना उचित है। स्वस्थ मनुष्य प्रत्येक दिन तीन-चार सेर (1 सेर = 933 ग्राम ),अस्वस्थ चार-पॉँच सेर तथा चर्म रोग ग्रस्त व्यक्ति पॉँच-छः सेर जल पी सकता है। यह जल रोग निवारण में अधिक सहायता करता है। 

जल के साथ थोड़ा नीम्बू का रस और उसके साथ सामान्य परिमाण में नमक व्यवहार करने पर और भी लाभ होता है। जल पीना अच्छा है, किन्तु एक साथ अधिक जल पीना हानिकारक है। विशेषकर हृदय रोगी के लिए तो अत्यंत हानिकारक है। 

नोट :  रोगग्रस्त व्यक्ति चिकित्सक का परामर्श अवश्य लें। 


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